करुँ कल्पना उस दिन की ,
जब नेता बन जाऊंगा काम करूँ नही दो कौडी का ,
अरबों नोट कमाऊंगा ।
नोट पड़े गिनती पर भारी ,
कहाँ तक गिने मशीन बेचारी
सिस्टम खोखा -पेटी का ,
तब लागू करवाऊंगा ।
जब नेता बन जाऊंगा .....
पहला जनता करे सबाल ,
कैसे हैं बिजली के हाल
जनता को ऐसे चकाराऊ ,
पनचक्की की तरह घुमाऊ ।
करुँ आंकडे बाजी ऐसे ,
बिजली का प्रोफेसर जैसे
किलोवाट और मेगावाट में,
फर्क उसे में समझाऊ ।
जब नेता बन जाऊंगा ....
दूजा मुद्दा मद्यनिषेध ,
ये मुद्दा नही अधिक विशेष
मद्य निषेध का प्रचार कराऊं,
नित्य शाम को बार में जाऊँ ।
जमकर पीउं डेढ़ बजे तक ,
दिन में सौऊँ धूप चढे तक
दो अक्टूबर सुबह छ : बजे ,
राजघाट पर जाऊंगा
आँख मूँद कर रघुपति राघव गाऊंगा।
जब नेता बन जाऊंगा .....
तीजा है कानून व्यवस्था ,
ढीली ढाली लचर अवस्था
हिन्दू ,मुस्लिम ,सिक्ख , इसाई ,
में इनका पेटेंट कसाई ।
विष घोलूँ अफवाह फैलाऊं ,
और दंगे करवाऊंगा
जब हालत बेकाबू हो जायें ,
तब करफू लगवाऊंगा
जिम्मेदारी डाल किसी पर ,
उसकी बलि चढाऊंगा ।
जब नेता बन जाऊंगा .....
चोथा है सामाजिक न्याय ,
सहना होगा अब अन्याय
पढ़े - लिखे और मध्यम शहरी ,
इस राज से उखड जायेंगे ,
चोर उचक्के , भू माफिया ,
तस्कर संरक्षण पाएंगे ।
पावडर पीने वाले मुजरिम ,
बिना जमानत छूट जायेंगे
महिलाओं की चेन लूट ,
आजाद घूमते मिल जायेंगे
भला आदमी जहाँ दिखा ,
मैं वहीं चालान बनाऊंगा ।
जब नेता बन जाऊंगा ......
पंचम मुद्दा है मंहगाई ,
कहते हैं दिल्ली से आई
चटनी रोटी मिल जायेगी ,
दुगना मूल्य चुकाना होगा
जिसने नाम लिया सब्जी का ,
उस पर तो जुरमाना होगा
घी सूंघना चाहोगे तो ,
पैन कार्ड दिखलाना होगा
खुली हवा और खिली धूप पर ,
भारी टैक्स लगवाऊंगा ।
जब नेता बन जाऊंगा .....
छटवां है स्वास्थ्य बीमारी ,
जिम्मेदारी नही हमारी
सर्दी और जुकाम का हौवा ,
दूर करेगा बस एक पौवा
गला यदि करना हो साफ़ ,
नित्यप्रति तुम लेना हाफ
कभी सताए यदि फुल टेंशन ,
फुल ही दूर करेगा टेंशन
कैंसर ,एड्स नही बीमारी ,
जिम्मेदारी नही सरकारी
इन्हें दवा की नही जरूरत ,
जान बचायेगी बस जानकारी
फर्जी बिल बैनर -पोस्टर पर ,
पूरा बजट लुटाऊंगा
जब नेता बन जाऊंगा ......
एक कविता याद आ गई ..माँ संसद की कुर्सी दे दे मै नेता बन जाऊँ ... अरे ऐसी नही थी ना कविता वो कुछ खादी की चादर औअर गान्धीजी का ज़िक्र था ..
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