बगल में ,
खोली के भीतर
देशी शराब की
बंद दुकान के
सामने ,
राम भरोसे !!
हिचकोले ले रहा था ,
दूर से आते
सिपाही ने
उसे ताक लिया ,
बोला - -
क्यों बे !!
आज भी , लगा ली
अरे !!
क्या बात करते हो ?
साब !!
आज तो ,
देशी बंद है ,
नशा मुक्ति दिवस है .
मुझे पता है , साब !! ,
फिर , साले !!
क्यों हिल रहा है ?
कुछ नहीं साब !!
देख रहा था
बिना पीये , कैसा लगता है
क्यों रे !!!
मुझे , उल्लू बनता है ?
चल , जेब ढीली कर
पहले से ढीली है जी !!
अभी बड़े साब के घर
ड्यूटी पर था ,
बोले --
राम भरोसे !! जरा ,
सोडा लेकर आ ,
मैं , सोच रहा था
आज तो मुक्ति दिवस है ,
साब !! झुग्गी मैं भाषण भी
दिए थे ,
पर , हो सकता है
साब !!
नशा मुक्ति दिवस
सेलिब्रेट कर रहे होंगे ?
क्या बकता है - - ....
रेनू शर्मा .....