Monday, June 28, 2010

नशा मुक्ति दिवस

टूटे टपरे के 
बगल में ,
खोली के भीतर 
देशी शराब की 
बंद दुकान के 
सामने ,
राम भरोसे !!
हिचकोले ले रहा था ,
दूर से आते 
सिपाही ने 
उसे ताक लिया ,
बोला - -
क्यों बे !!
आज भी , लगा ली 
अरे !!
क्या बात करते हो ?
साब !!
आज तो ,
देशी बंद है ,
नशा मुक्ति दिवस है .
मुझे पता है  , साब !! ,
फिर , साले !!
क्यों हिल रहा है ?
कुछ नहीं साब !!
देख रहा था 
बिना पीये , कैसा लगता है 
क्यों रे !!!
मुझे , उल्लू बनता है ?
चल , जेब ढीली कर 
पहले से ढीली है जी !!
अभी बड़े साब के घर 
ड्यूटी पर था ,
बोले --
राम भरोसे !! जरा ,
सोडा लेकर आ ,
मैं , सोच रहा था 
आज तो मुक्ति दिवस है ,
साब !! झुग्गी मैं भाषण भी 
दिए थे ,
पर , हो सकता है 
साब !! 
नशा मुक्ति दिवस 
सेलिब्रेट कर रहे होंगे ?
क्या बकता है - - ....
रेनू शर्मा .....

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