यारों का संदेश
मोबाईल पर
चस्पा होता है ,
कभी ,
फोन घनघनाता है ,
कभी ,
एकांत में
मंत्रणा हो लेती है ,
रात की खुमारी
अभी , जाती भी नही
कि,
सुबह का निमंत्रण
बार -बार
मुंह में रस
घोलता है ,
कभी ,
कला कुत्ता ,
कभी,
लाल रात
कभी ,
जिन ,कभी ,
हस्ताक्षर
बिसलरी जल के साथ
विलीन होकर ,
निमिष भर में ,
हलक के पार
चली जाती है ,
कहकहे , मस्ती ,फब्तियां
दिल्लगी ,राजनीति और कभी
मदनीति ,
सबका कॉकटेल
परोसा जाता है ,
आजादी का नशा
भुला देता है
घर -परिवार -बच्चे ,
अब ,
किसे भाता है
मुसीबतों का स्मरण
मद ,चषक के
चषक पर चषक
जब ,
उदराग्रस्त होते हैं ,
तब ,
रजनोत्संग के लिए
लालायित ,
प्रकम्पित भंवरे सा
प्रेम का भरम जाल
फैलाता ,
भिनभिनाता है ,
कभी ,
आंखों को लाल
करता है ,
कभी ,
पंख फड फडाता है ,
कभी ,
कलिका की बेरुखी पर
विष वमन कर
वहीं का वहीं ,
ढेर हो जाता है ,
इस ...
अगन की तपन
जला रही है ,
अनेकों भावनाओं ,
विचारों और परिवारों को ,
चषक का कषाय पन
दिलों को ,
छील रहा है ,
किसी अपराधी की
देह सा , जो
निरपराध है ,
कब तक,
अदृश्य कर्म
दृश्य दंड से ,
प्रकट होते रहेंगे ?
जीवन की
धरोहर सा , वक्त
सिसकते कट गया ,
अब ,
आखिरी शाम को
स्नेह का दिया
जलाकर तो देखो !!!
एक ,
पतंगी आ ही मरेगी ।
रेनू ...
patangi marneko bekarar hai kintu pahele sneha ka deep to jalana padta hai yeha anivarya sharth hai renu ji achhee kavita hai.
ReplyDelete