भावों और विचारों को अर्थ देने पर ही कविता का जन्म होता है
Tuesday, August 7, 2012
कैद
नादां हैं , हम
विश्वास किये जाते हैं ,
वे , छलते जाते हैं ,
हम ,
खुश होते , जाते हैं ,
वे , मेरी दूरी से ,
हर्षित होते हैं ,
मैं , उनके
सामीप्य से ,
भाव -विभोर होती हूँ ,
वे , मुझसे
आजादी चाहते हैं ,
मैं , उनकी कैद में ,
रहना चाहती हूँ .
wah , mini sharma ji ,
ReplyDeleteaapki kavita padhi bahut hi sparshi hain .
isi tarah likhti rahiye .