जिन्दा हूँ ,
मगर
जिन्दगी का
एहसास ही नहीं ,
सांसें चलती हैं
मगर
उनकी आहट का
भान ही नहीं,
दिल धडकता है
मगर
धडकनें धड्कतीं ही नहीं ,
जज्वात हैं ,
मगर
कभी ,जिए ही नहीं ,
अकेले ही , सुबकती रही
मगर
आंसुओं को किसीने
रोका ही नहीं ,
आँखों की ,
लाली पर
नज़र पड़ी ,
मगर
ऐसे दिखाया
जैसे ,
किसी ने
देखा ही नहीं .
मिनी शर्मा
aankhon ki lali par , nazar padi , magar aise dikhaya , jaise kisi ne dekha hi nahi ,
ReplyDeletekya baat hai ,bina kahe kisi ke dil ki baat ko samjh lena hi kavita hai , bahut achchha likha hai ,