Tuesday, August 7, 2012

क़त्ल


वो ,
रंगीनी के लिए
रोज
बहाने खोजता है ,
उसका झूंठ
मेरे सच से ,
धूमिल हो जाता है ,
वो ,
सबसे अंजान
रहता है
लेकिन
मेरी , समझ में
सब आता है ,
मेरे ही झूंठे
कहकहों पर
मेरा ही दिल
हँसता है ,
सारे गम , तो
हम ,
अपने पहलु में
लिए बैठे हैं ,
दीवाने से , उस पर
मरते हैं ,
पर , वो , हर पल
अपनी बेरुखी से
हमारा ,
क़त्ल , करता है .

मिनी शर्मा

1 comment:

  1. vo , har pal apni berukhi se hamara katl karta hai ,
    kya baat hai , bahut mast likha hai ,

    ReplyDelete