पथ पर चलते हुए तुम मत डरना,
और न घबराना कि आगे क्या होगा,
चल पाओगे तुम कि नहीं,
खा जाओगे कहीं ठोकर,
क्या पा सकोगे क्षितिज को अपने,
तुम मत डरना जीवन पथ पर,
थाम कर जीवन की उंगली और ह्रदय में प्रेरणा,
तुम चलो तो चलते जाना,
चलते चलते तुम,
पाओगे कि जीवन पथ वह पथ है जो,
स्वयं पर चलने वालों को,
जो चले हैं सहारे जीवन के,
ले कर प्रेरणा ह्रदय में,
कभी लापरवाह नहीं होने देता,
उन्हें,जो चले हैं छू लेने क्षितिज को,
ले कर स्वांसों की पूँजी और पाथेय जीवन का,
यह पथ है जीवन का जिस पर चलने वाला,
थकने लगता है ,खोने लगता है पुरानी स्मृतियों में,
हटने लगती है दृष्टि तब क्षितिज से,
इस पथ कि एक ठोकर कर देती है उसे सतर्क,
और जागरूक कि चलते रहना,
स्मृतियों में खो मत जाना,
तुम्हें चलना है बहुत आगे,
पथिक लेकर पाथेय जीवन का ,
तुम छू लेने को क्षितिज बस चलते ही जाना...............
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