Sunday, June 15, 2014

परीक्षा

जाने क्यों ?
सीने से दर्द का सैलाव सा
उठता है ,
कोई है जो मुझे ,
निष्प्राण करने की कोशिश मै
बार -बार हताश हो रहा है ,
मैं , गुरूजी के भीतर
बलात दस्तक देती  जा रही हूँ ,
देख लीजिये !! कोई हमें
नाहक , अविषयक
प्रश्न -पत्रों में उलझा रहा है ,
परीक्षाओं का दौर
संपन्न होता ही है ,
तभी , साक्षात्कार का
पल आ गया ,
हम भी ठहर गए हैं ,
हमारे , आत्मबल , समर्पण , एकत्व
और अपनत्व का इम्तहान
ले ही , लो ,
यूँ , बार -बार ध्यान
भंग करने का
दुराचार मत करो।

रेनू शर्मा १३ /५/१२ 

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