Sunday, June 15, 2014

हम फौलाद फांक रहे हैं

पल -पल रेत का समंदर
मेरे , हाथों के सम्पुट से
सरक रहा है ,
हम , एक -दूसरे को
कनखियों से देखकर
सिहर उठते हैं ,
झट से , रेत को बिखराकर
फिर से ,
अंजुली भर लेती हूँ ,
तुम , हौले -हौले रिसते रहो
हम , सब पुन :
हौसलों का अम्बार लगा देंगे ,
तुम , हमें
झकझोरने का प्रयास मत करो ,
हम , सब
फौलाद फांक रहे हैं
देखो !! हम
आत्मबल उगा रहे हैं ,
तुम , हार जाओगे
हम , एक हो गए हैं।

रेनू शर्मा 

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