Friday, June 27, 2014

आकर्षण

पृथ्वी की कमनीयता 
अलौकिकता , भौतिकता 
सृजनात्मकता और मानवीय 
पाशविक ,नभचर , जलचर ,
थलचर , सभी  प्रति 
सहृदयता ,नम्रता , शीतलता को 
जानकर , लगा 
जब हम , अंतरिक्ष की 
गहराई में होंगे ,
तब हम , देख पाएंगे 
धरती का घूमना 
हिलना -डुलना , विचरना 
और असीमित स्वतंत्रता का 
भान होते ही , मैं 
जाने कहाँ , खो गई 
न आकाश , न जमीन ,न कोई 
चाँद -तारे 
अँधेरी रात के घनघोर 
छोर पर , चाकर घिन्नी बनती 
मैं , वापस आने के लिए 
छटपटाने लगी ,
कैसा , आकर्षण है ? 
इस जीवन के रहस्य का। 

रेनू शर्मा 

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