आश्रम के प्रांगण का
पंछी भी , हमारे साथ ही
प्रार्थना में सुर मिला रहा है ,
हम जब ,
समायोजित होते हैं
तब , छोटी -छोटी बूंद सी
ठिठोली से भी ,
प्रफुल्लित हो जाते हैं ,
जब , एक -दूसरे के
नेत्रों में झांकते हुए ,
वार्ता को श्रवण करते हैं ,
तब , भीतर तक
स्पंदन होता है ,
अब ,हम विचलित हैं
पर , मन की दीवार पर
उकेर चुके हैं कि ,
तुम्हें ,वापस लाकर ही रहेंगे ,
हमारा साहस ,
गुरु चरणों तक आकर
उर्जित हो रहा है ,
हम , रक्त बूंदों के मनकों से
सबके दिलों में
ज्योति से जल गए हैं ,
यही , हमारा प्रयास
सार्थक होकर हमारी
रूह में समां रहा है ,
हम फिर से खड़े हो जाते हैं ,
आगे बढ़ने के लिए।
रेनू शर्मा
पंछी भी , हमारे साथ ही
प्रार्थना में सुर मिला रहा है ,
हम जब ,
समायोजित होते हैं
तब , छोटी -छोटी बूंद सी
ठिठोली से भी ,
प्रफुल्लित हो जाते हैं ,
जब , एक -दूसरे के
नेत्रों में झांकते हुए ,
वार्ता को श्रवण करते हैं ,
तब , भीतर तक
स्पंदन होता है ,
अब ,हम विचलित हैं
पर , मन की दीवार पर
उकेर चुके हैं कि ,
तुम्हें ,वापस लाकर ही रहेंगे ,
हमारा साहस ,
गुरु चरणों तक आकर
उर्जित हो रहा है ,
हम , रक्त बूंदों के मनकों से
सबके दिलों में
ज्योति से जल गए हैं ,
यही , हमारा प्रयास
सार्थक होकर हमारी
रूह में समां रहा है ,
हम फिर से खड़े हो जाते हैं ,
आगे बढ़ने के लिए।
रेनू शर्मा
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