यहाँ , कोई रोटी के लिए
तरस रहा है ,
कोई , कपडे के लिए
जद्दोजहद कर रहा है ,
कोई , घरोंदे के लिए
कश्मकश में लगा है ,
कोई , बेचारगी का मारा
आश्रम की सीढ़ियों पर
बेजार पड़ा है ,
कोई , घर से निष्कासित
अवाक् द्विराहे पर खड़ा है ,
कोई , प्रेमिका से छला
प्रेमी से परित्यक्त ,
रिश्तों से प्रताणित
संचार साधनों पर
समाधान खोज रहा है ,
कोई , राजगद्दी की चाह में
खेत -खलिहान , गली -चौबारों
शहर -मौहल्लों की
खाक छान रहा है ,
कोई , बेपनाह ,असीमित
बैभव के बीच ,
राज सुख भोगकर
अंगुलियां चाट रहा है ,
कोई , संसद के गलियारों में
वोटों का गणित लगा रहा है ,
कोई , दीगर हस्तियों को
घूल चटाने को , साम -दाम
दंड -भेद का सहारा ले रहा है ,
कोई , षड्यंत्र के कुचक्र को
नेस्तनाबूद करने को ,
डॉलर , टका , रुपया ,दिनार का
जाल बुन रहा है ,
कोई , भृष्टाचार , हेराफेरी की
दलाली को उजागर कर ,
परदे पर बेपर्दा कर रहा है ,
कोई , आतंक , खौफ
बलात्कार , हत्या , अपहरण
चोरी ,डकैती , लूट और राजनीति की
शिक्षा में पारंगत हो
अशिक्षा का बिगुल बजा रहा है ,
कोई , कार्पोरेट जगत की
नौकरी कर दिन -रात
पैसों का हिसाब लगा रहा है ,
कोई , रात भर करवटें बदल
सुबह ,परिंदों को दाना बिखेरने का
इंतजार कर रहा है ,
कोई , पक्तिबद्ध हो सहारे से बैठे
किसी के अपनों को
रोटी -अचार बाँट रहा है ,
कोई , जिंदगी की भागम -भाग में ,
पीछे छूटे अरमानों को ,
बच्चों को किलकारी में
डुबो रहा है ,
कोई , जटाओं का जंजाल
सर पर बांधे ,जीवन मुक्ति के लिए
ध्यान में आकंठ डूबा ,
स्वयं में उसे पाने का
प्रयास कर रहा है ,
कोई , प्रसव पीड़ा से ग्रस्त
माँ , के कोटर से
यहाँ , पधारने की कोशिश कर रहा है।
रेनू शर्मा
तरस रहा है ,
कोई , कपडे के लिए
जद्दोजहद कर रहा है ,
कोई , घरोंदे के लिए
कश्मकश में लगा है ,
कोई , बेचारगी का मारा
आश्रम की सीढ़ियों पर
बेजार पड़ा है ,
कोई , घर से निष्कासित
अवाक् द्विराहे पर खड़ा है ,
कोई , प्रेमिका से छला
प्रेमी से परित्यक्त ,
रिश्तों से प्रताणित
संचार साधनों पर
समाधान खोज रहा है ,
कोई , राजगद्दी की चाह में
खेत -खलिहान , गली -चौबारों
शहर -मौहल्लों की
खाक छान रहा है ,
कोई , बेपनाह ,असीमित
बैभव के बीच ,
राज सुख भोगकर
अंगुलियां चाट रहा है ,
कोई , संसद के गलियारों में
वोटों का गणित लगा रहा है ,
कोई , दीगर हस्तियों को
घूल चटाने को , साम -दाम
दंड -भेद का सहारा ले रहा है ,
कोई , षड्यंत्र के कुचक्र को
नेस्तनाबूद करने को ,
डॉलर , टका , रुपया ,दिनार का
जाल बुन रहा है ,
कोई , भृष्टाचार , हेराफेरी की
दलाली को उजागर कर ,
परदे पर बेपर्दा कर रहा है ,
कोई , आतंक , खौफ
बलात्कार , हत्या , अपहरण
चोरी ,डकैती , लूट और राजनीति की
शिक्षा में पारंगत हो
अशिक्षा का बिगुल बजा रहा है ,
कोई , कार्पोरेट जगत की
नौकरी कर दिन -रात
पैसों का हिसाब लगा रहा है ,
कोई , रात भर करवटें बदल
सुबह ,परिंदों को दाना बिखेरने का
इंतजार कर रहा है ,
कोई , पक्तिबद्ध हो सहारे से बैठे
किसी के अपनों को
रोटी -अचार बाँट रहा है ,
कोई , जिंदगी की भागम -भाग में ,
पीछे छूटे अरमानों को ,
बच्चों को किलकारी में
डुबो रहा है ,
कोई , जटाओं का जंजाल
सर पर बांधे ,जीवन मुक्ति के लिए
ध्यान में आकंठ डूबा ,
स्वयं में उसे पाने का
प्रयास कर रहा है ,
कोई , प्रसव पीड़ा से ग्रस्त
माँ , के कोटर से
यहाँ , पधारने की कोशिश कर रहा है।
रेनू शर्मा
samsaamik rachna hai
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