Friday, March 6, 2009

कल्पना

Sunday, 11 January 2009

करुँ कल्पना उस दिन की

करुँ कल्पना उस दिन की ,जब नेता बन जाऊंगा काम करूँ नही दो कौडी का , अरबों नोट कमाऊंगा ।
नोट पड़े गिनती पर भारी , कहाँ तक गिने मशीन बेचारी
सिस्टम खोखा -पेटी का , तब लागू करवाऊंगा ।
जब नेता बन जाऊंगा .....
पहला जनता करे सबाल , कैसे हैं बिजली के हाल
जनता को ऐसे चकाराऊ , पनचक्की की तरह घुमाऊ ।
करुँ आंकडे बाजी ऐसे , बिजली का प्रोफेसर जैसे
किलोवाट और मेगावाट में, फर्क उसे में समझाऊ ।
जब नेता बन जाऊंगा ....
दूजा मुद्दा मद्यनिषेध , ये मुद्दा नही अधिक विशेष
मद्य निषेध का प्रचार कराऊं, नित्य शाम को बार में जाऊँ ।
जमकर पीउं डेढ़ बजे तक , दिन में सौऊँ धूप चढे तक
दो अक्टूबर सुबह छ : बजे , राजघाट पर जाऊंगा
आँख मूँद कर रघुपति राघव गाऊंगा।
जब नेता बन जाऊंगा .....
तीजा है कानून व्यवस्था , ढीली ढाली लचर अवस्था
हिन्दू ,मुस्लिम ,सिक्ख , isaai , में इनका पेटेंट कसाई ।
विष घोलूँ अफवाह फैलाऊं , और दंगे करवाऊंगा
जब हालत बेकाबू हो जायें , तब करफू लगवाऊंगा
जिम्मेदारी डाल किसी पर , उसकी बलि चढाऊंगा ।
जब नेता बन जाऊंगा .....
चोथा है सामाजिक न्याय , सहना होगा अब अन्याय
पढ़े - लिखे और मध्यम शहरी , इस राज से उखड जायेंगे ,
चोर उचक्के , भू माफिया , तस्कर संरक्षण पाएंगे ।
पावडर पीने वाले मुजरिम , बिना जमानत छूट जायेंगे
महिलाओं की चेन लूट , आजाद घूमते मिल जायेंगे
भला आदमी जहाँ दिखा , मैं वहीं चालान बनाऊंगा ।
जब नेता बन जाऊंगा ......
पंचम मुद्दा है मंहगाई , कहते हैं दिल्ली से आई
चटनी रोटी मिल जायेगी , दुगना मूल्य चुकाना होगा
जिसने नाम लिया सब्जी का , उस पर तो जुरमाना होगा
घी सूंघना चाहोगे तो , पैन कार्ड दिखलाना होगा
खुली हवा और खिली धूप पर , भारी टैक्स लगवाऊंगा ।
जब नेता बन जाऊंगा .....
छटवां है स्वास्थ्य बीमारी , जिम्मेदारी नही हमारी
सर्दी और जुकाम का हौवा , दूर करेगा बस एक पौवा
गला यदि करना हो साफ़ , नित्यप्रति तुम लेना हाफ
कभी सताए यदि फुल टेंशन , फुल ही दूर करेगा टेंशन
कैंसर ,एड्स नही बीमारी , जिम्मेदारी नही सरकारी
इन्हें दवा की नही जरूरत , जान बचायेगी बस जानकारी
फर्जी बिल बैनर -पोस्टर पर , पूरा बजट लुटाऊंगा
जब नेता बन जाऊंगा ......
काली चरण .....उपयंत्री लो .नि .वि .

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