Friday, March 6, 2009

पत्थर

Thursday, 5 February 2009

पत्थर

तुमको रास न आए ,
मेरे गुलिस्तां के फूल भी ,
हमको अजीज हैं ,
तेरे आँगन का भी पत्थर ।
तिनका -तिनका याद तुम्हारी ,
एक घरोंदा बना गई ।
एहसास तुम्हारे छूने का ,
ज्यों पानी मैं गिरता पत्थर ।
यादों के समुन्दर में ,
खुशबू तेरी आई ।
तूफां के साथ आया ,
तेरे एहसास का पत्थर ।
शीशे के घरोंदों में ,
दीवारें नही होतीं ।
तुम तो तलाशते रहे ,
नींव का पत्थर ।
एहसासों के जंगल में ,
तुमको न मिली पगडण्डी भी ।
हम तो , वहाँ भी पा गए ,
एक मील का पत्थर ।
विमल ....

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