Friday, March 6, 2009

इनका दिवस


रोज़ की तरह


आज भी, वे


महिला दिवस


मन रही हैं


कभी,


गहने खरीद रही हैं


कभी साड़ी।


सहेली के साथ


सिनेमा जाने का


मन बना रही हैं,


साहब का लंच


बहार ही होगा


इसलिए,


स्वयं पिज्जा खा रही हैं।


बड़ी आसानी से


झिड़क देती हैं


फुटपाथ पर


भीख मांगती


औरत को


ये आधुनिक महिला


अपने अस्तित्व को


भुना रही हैं


तभी तो


शेहेर भर की


सड़कों पर


इनकी गाड़ी


सरपट दौड़ रही है।


रेनू...


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