जब , छोटी थी तब ,
मदमस्त , बेखबर
तितली सी ,
कभी इधर
कभी उधर ,
मंडराती थी ।
कभी भाई से लड़ना ,
सखी से मिलना ,
माँ से उलझना ,
पिता से अटकना
सब ,
बेलगाम चलता था ।
अब , जब , पीहर
पीछे छूट गया है ,
तब ,
माँ , कहती है -
वे ही तुम्हारे माता -पिता हैं
पिता कहते हैं -
वही तुम्हारा घर है ,
भाई कहता है -
टूटना मत ,
सखी कहती है -
बिखरना मत ,
मैं , कहती हूँ -
मुझे पहले बताया होता ,
क्या , नही करना ।
क्यों ?
मैं , फ़िर से
बेटी नही बन सकती ।
रेनू ....
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