चोली के पीछे क्या है ?
सारा बचपन जहाँ गुजारा
वो है इस चोली के पीछे ,
नौ माह भ्रूण जहाँ रंग लाया
वो है इस चोली के पीछे ,
जहाँ बहा था जीवन अमृत
वो है इस चोली के पीछे ,
बचपन की हर भूख प्यास का
था रसद इस चोली के पीछे ,
मानवता जहाँ यौवन पाई
वो है इस चोली के पीछे ,
माँ की आन बहन की इज्जत
वो है इस चोली के पीछे ,
चाचा नेहरू जहाँ पले थे
वो है इस चोली के पीछे ,
भगतसिंह जहाँ बढे हुए थे
वो है इस चोली के पीछे ,
आज का यौवन भटक चुका है
सारी बातें भुला चुका है ,
ख़ुद से ही अब पूंछ रहा है
क्या है इस चोली के पीछे ।
भोंडे गाने बजा रहा है
दूध वो माँ का लजा रहा है ,
मर्यादा सब मिटा रहा है
आज उसे वहाँ दिल दीखता है ।
विमल .....
No comments:
Post a Comment