Friday, March 6, 2009

एहसास

Saturday, 24 January 2009

एहसास

वक्त थम जाता है
जब आगोश में
प्रिय हो किसी के
वक्त रुक जाता है
जब आगोश हो
खली प्रिय का
नयन में न सांझ बस्ती
और न अधरों पर सवेरा
जब प्रिय आगोश में हो
सांझ बस जाती नयन में
और अधरों पर सवेरा
जब प्रिय की याद दिल में।
जब प्रिय हो पास दिल के
धडकनों का मूल्य क्या है
धड़कने निर्मूल हैं जब
आगोश हो खली प्रिय का।
सामने बैठी रहो तुम
हर समाया
मधुमास मेरा
हर समाया उपहास मेरा
जब प्रिय तुम दूर मुझसे।
विमल.....

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