मेरे दोस्त
मेरी दोस्ती
बुलबुल से है ,
जो सुबह का नाश्ता
मेरी चाय के साथ करती है ।
मेरी सखी वो चिडिया है ,
जो , दोपहर का खाना
मुझसे मांग कर करती है
चहचहाती है जब मैं ,
भूल जाती हूँ
समय पर खाना देना ।
मेरे इर्द -गिर्द चक्कर लगा
उपस्तिथि दर्ज कराती है ।
मेरी सहेली
वो गिलहरी है , जो
टिल -टिल करती है , जब
बिल्ली झांकती है ।
फैले अख़बार पर
फुदक जाती है ,
खाने की खुशबु
सूंघती हुई ।
मेरे दोस्त , वे
कौवे हैं ,जो
हर शाम डूबते सूरज के साये से
पैदा होते लगते हैं ,
खेलते हैं , साथियों से कुछ
कहते भी हैं ।
शांत , ध्यानस्त से उड़ जाते हैं ।
रंग -बिरंगे बादलों के
घरों से निकलते उनके झुंड ,
ऐसे लगते हैं , मानो
वे सूरज के उगने से पहले ही
पूर्व में समां जाना चाहते हैं ।
जाने कहाँ से आते हैं ?
जाने कहाँ जाते हैं ?
मेरे दोस्त रोज मिलते हैं ।
दिन भर की शिकायतें ,
तकरार , क्रोध , और सामीप्य
सब कुछ बांटते हैं ।
मेरे दोस्त ।
रेनू ......
No comments:
Post a Comment