नया उजास
कृष्णपक्ष सा ,
घनघोर अँधेरा
अब छंट गया है ,
दैहिक , भौतिक , मानसिक
संतापों के बाण
टूट चुके हैं ,
मानवीय तन की
अमानवीय सजा
ख़त्म हो चुकी है ।
हौसलों , आशाओं , अभिलाषाओं
की डोर , अब
सूर्य किरण बन रही है ।
नव दिवस की
प्रात: बेला ,
नया उजास फैला रही है ।
विस्मृत होने दो
अतीत को ,
वर्तमान की उज्जवल
धवल , स्वर्णिम
आभा के साथ ,
हम , नई राहें
खोज डालें ,
नए विचार , नई उमंग के साथ
हम , फ़िर से
सत्संग करें , प्राणायाम करें ,
नमन करें ।
रेनू .....
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