Friday, March 6, 2009

तेरे बिना

तेरे बिना

सूनी हैं वादियाँ यहाँ जानम तेरे बिना ,
सूना है जिंदगी का हर मंज़र तेरे बिना ।
समझाएं दिल को किस तरह तेरे बिना यहाँ ,
चलते हैं दिल पै शीत के खंजर तेरे बिना ।
वैसे तो बहुत खूब हैं मौसम के नज़ारे ,
पर कुछ नहीं मुकम्मल मुझको तेरे बिना ।
अस्तित्व बोध होता है मुझे तेरे प्यार में ,
अस्तित्व हीन हो जाता हूँ तेरी याद में ।
कुछ याद नही आता है ये कैसा समां है ,
सब भूल सा जाता हूँ मैं जानम तेरे बिना ।
हुईं तेज धड़कनें कुछ पहुंचकर शेखर पै ,
और डूबता है दिल यहाँ जानम तेरे बिना ।
पंहुचा हूँ बहुत दूर तेरी यादों के सहारे ,
नामुमकिन हो गया है अब चलना तेरे बिना ।
अब तक चला कैसे चला ऐसे चला मैं ज्यों ,
कोई भंवरा भटकता हो किसी पुष्प के बिना ।
अब और न तरसा और न कर जरा सी देर ,
अब जी न सकूँगा मैं , प्रियतम तेरे बिना ।
विमल .......

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