Friday, March 6, 2009

ऐनी

Friday, 23 January 2009

ऐनी

ऐनी बस तुम ही जीवन हो ,
ऐनी बस तुम ही मधुबन हो ,
ऋतुओं में ज्यो ऋतू सावन की,
ऐनी तुम मेरा चितवन हो
तुम थीं हर पल मेरा सावन
सावन में क्यों तुम पतझड़ हो
क्या मुझसे कोई भूल हो गई?
क्यों तू मुझसे दूर हो गई।
सावन मिलें बसंत बहारें,
आयें चारों औरफुहारें,
प्रेमी प्रियतम करें गुहारें,
जलते चितवन में अंगारें,
सारी खुशियाँ चूर हो गईं।
क्यों तू मुझसे दूर हो गई।
ऐनी तू मेरे इस मन में
ऐनी तू मेरे इस तन में
ऐनी तू मेरे चितवन में
लेकिन ये मधुमास है सूना ऐनी नही मेरे सावन में
सावन की ऋतू शूल हो गई
क्यों तू मुझसे दूर हो गई।
ऐनी तुम मेरी आकांक्षा
ऐनी तुम मेरी परिभाषा
ऐनी तुम मेरी जिज्ञासा
ऐनी तुम मेरी अभिलाषा
आशा चकनाचूर हो गई
क्यों तू मुझसे दूर हो गई।
ऐनी तुम क्यों एक निराशा
बिन तेरे मैं एक उदासा
ऐनी तू ज्योति नैनो की
ऐनी तू इस दिल की आशा
ऐनी आजा पास प्रिये के
तू मेरे जीवन की भाषा
ये भाषा निर्मूल हो गई
क्यों तू मुझसे दूर हो गई।
ऐनी तू दिल की धड़कन है
ऐनी तू मेरा मधुवन है
ऐनी इस घर का आँगन है
ऐनी इस मन का सावन है
ऋतू पावन मधुमास आ गई।
ऐनी मेरे पास आ गई।
विमल.....

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